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गुरुवार, 7 दिसंबर 2017

डाउन सिंड्रोम बीमारी से ग्रसित देवांशी जोशी ने जीता एनसीपीईडीपी-माइंडट्री हेलन केलर पुरस्कार

  • बौद्धिक विकलांग व्यक्तियों की रोजगार की जरूरत

दिल्ली : जब भी आप दिल्ली के आर.के.पुरम के ग्राम भारत आएंगे, तो वहाँ एक हंसमुख औरत को स्वागत करते हुए पाएंगे। वे 2013 से यहां स्टोर असिस्टेंट के रूप में काम कर रही हैं। काम से देवांशी ने अपने ग्राहकों के दिलों में एक खास जगह बनाई है। ग्राहक उनके इतने बडे फेन हैं कि वे सिर्फ उनसे मिलने ही स्टोर जाते हैं।
देवांशी ने डाउन सिंड्रोम की चुनौतियों को पार कर लिया है। ये आनुवांशिक स्थिति से उत्पन्न शारीरिक वृद्धि और बौद्धिक विकलांगता में विलम्ब के कारण होने वाली बीमारी है।
एक कर्मचारी के रूप में देवांशी का सपना जिम्मेदार, विश्वसनीय और ग्राहकों और आपूर्तिकर्ताओं के प्रति सम्मान बनाए रखना है। अपने काम के प्रति गरिमा का भाव रखते हुए वे अपने जूनियर्स को नए-नए काम को सीखने में मदद करती हैं। खुद भी एक उत्सुक विद्यार्थी की तरह सीखती हैं। वे न केवल उत्पाद कोड और कीमतों को याद करती हैं, बल्कि सामान के स्टॉक और शेड्यूल को भी याद रखती है। एनसीपीईडीपी-माइंडट्री हेलन केलर पुरस्कार के विजेता के रूप में देवंशी पुरस्कार के मूल्यों का प्रतीक हैं।
एनसीपीईडीपी के मानद निदेशक जावेद अबीदी ने कहा, यह पुरस्कार उन विकलांग व्यक्तियों और संगठनों को दिया जाता है, जिन्होंने विकलांग लोगों के लिए रोजगार के अवसरों को आगे बढ़ाने में आदर्श स्थापित किया है। देवांशी की सफलता इसलिए मायने रखती है, क्योंकि भारत अभी तक पूरी तरह से विकलांगता को समझ नहीं पाया है। भारतीयों के लिए विकलांगता का अर्थ हमेशा ही अंधत्व और व्हीलचेयर का उपयोग करने वाला होता है। मांसपेशियों की विकृति, कुष्ठ रोग, सिकल सेल एनीमिया, सेरेब्रल पाल्सी, डाउस सिंड्रोम और बौनावाद में भारत कब विकलांगता देखेगा और अपना उपेक्षा भाव दूर करेगा?
माइंडट्री के कृष्ण कुमार नटराजन ने इस समारोह की अध्यक्षता की। उन्होंने कहा, माइंडट्री को एनसीपीईडीपी का समर्थन करने पर गर्व है। यह देखते हुए कि उसके सभी काम और अभियान विकलांगों के लिए एक बेहतर समाज बनाने की दिशा में कार्यरत हैं। उन्होंने आगे कहा कि डिजिटल इकोसिस्टम विकलांग व्यक्तियों के लिए वेबसाइटों को सुलभ बनाने के महत्व पर जोर नहीं दे सकता। इसके अलावा सौरभ चंद्र, एनसीपीईडीपी के जूरी सदस्य और ट्रस्टी, कृष्णकुमार नटराजन, अध्यक्ष माइंडट्री लिमिटेड और सुरेश जांदियाल, ओएनजीसी भी उपस्थित थे।

इस वर्ष एनसीपीईडीपी-माइंडट्री हेलेन केलर पुरस्कार को निम्नलिखित श्रेणियों में दिया गया।

श्रेणी ए : अक्षम व्यक्तियों के रोल मॉडल

ऐसे विकलांग व्यक्ति जो रोजगार के क्षेत्र में विकलांगों के लिए रोल मॉडल के रूप में सकारात्मक भूमिका निभाते हैं।
1. डॉ. चारुदत्ता जाधव रू हेड एक्सेसबिलिटी सीओई, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज लिमिटेड
2. देवांशी जोशी रू स्टोर सहायक, ग्राम भारत
3. डॉ. निर्मिता नरसिम्हा रू नीति निदेशक, इंटरनेट और सोसाइटी के लिए केंद्र
4. प्रदीप सिन्हा रू एक्सीक्यूटिव, डैल -एएमसी में इशू रिट्रैवल सेंटर में आईटी मैनेजमेंट सहायक

श्रेणी बी : असमर्थित लोगों के लिए रोजगार के अवसरों की भूमिका के रोल मॉडल

विकलांगता के क्षेत्र में ऐसे व्यक्ति, जिन्होंने लंबे समय तक विकलांगों के लिए रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देने में योगदान दिया है।
1. एसवी कृष्णन – सीईओ, डायलॉग इन द डार्क – एसीई टेक-1
2. स्वामीनाथन सुब्रह्मण्यम – प्रबंधक, भुगतान और संचालन, एएनजेड बेंगलुरु सेवा केंद्र

श्रेणी सी : रोल मॉडल कंपनियों / गैर सरकारी संगठन / संस्थान

विकलांगता से जुड़े संगठनों या विकलांगों के लिए रोजगार के समान अवसरों को बढ़ावा देने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दिखाने वाले।
1. बैरियरब्रेक सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड
2. हट्टी फूड एंड बेवरेजस् प्राइवेट लिमिटेड
3. द लेमन ट्री होटल कंपनी
4. विंध्या ई इन्फोमीडिया प्राइवेट लिमिटेड

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