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रविवार, 24 फ़रवरी 2013

नहीं सताता अब लड़कियों को कुंवारापन खोने का डर


‘आपरेशन से प्राप्त कर रही अपना खोया कौमार्य’

आधुनिक पाश्चात्य सभ्यता ने हमारे रहन-सहन, खान-पान, सोच-विचार और व्यवहार के तौर-तरीकों में अपना प्रभाव डाला ही है। हमारी अनेक मान्यताओं को भी पूरी तरह से तहस-नहस (दरकिनार) करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ा है। हमारे देश की लड़कियाँ शादी से पहले अपने कौमार्य को सहेजकर रखती थी और उनका कुंवारापन (हाईमन झिल्ली) सुहागरात वाले दिन ही उनके पति द्वारा समाप्त होता था, लेकिन आज हालात कुछ और है। आधुनिकता और फिल्मी ग्लैमर की चकाचौंध के चलते अनेक महानगरों और मेट्रोंसिटी की लड़कियों के लिए अपना कुंवारापन बचाये रखना बीते दिनों की बात हो गयी है। लड़कियों का खुलापन और स्वच्छन्द जीवन जीने की शैली के चलते उनका कुंवारापन कब कैसे समाप्त या नष्ट हो जाता है, खुद उन्हें ही इसकी फिक्र नही रहती। विदेशों में रहने वाली लड़कियां अपने कुंवारेपन को एक आपरेशन द्वारा फिर से प्राप्त कर रही हैं। विदेशों की देखा-देखी हमारे देश में भी यह चलन आज तेजी से अपना पैर पसार रहा है।
आगरा की 24 वर्षीया स्वीटी एक प्राइवेट कम्पनी में रिसेप्सनिष्ट के पद पर कार्यरत थी। यद्यपि उसके परिवार में किसी चीज की कमी नही थी। लेकिन स्वीटी की सोच थी वह स्वयं कुछ करें इसीलिए उसने रिसेप्सनिष्ट बनना स्वीकार किया था। स्वच्छन्द विचारों वाली स्वीटी के आफिस के ही एक युवक से जिस्मानी सम्बन्ध बन गये। कई महीनों तक स्वीटी आफिस के अपने ब्याय फ्रेन्ड के साथ मौज-मजा लेती रही, एक साल बाद उसके मा-बाप ने बेटी स्वीटी के लिए योग्य वर देखकर उसकी शादी तय कर दी। स्वीटी ने शादी का विरोध नहीं किया लेकिन उसे यह डर सताने लगा कि यदि शादी के बाद उसके पति को उसके विवाह पूर्व सम्बन्धों अर्थात् कुंवारेपन के नष्ट होने का शक हो गया तो हो सकता है उसका वैवाहिक जीवन नारकीय न बन जाय। स्वीटी इसी उधेड़बुन में पड़़ी थी उसे कोई रास्ता नहीं सूझ रहा था तभी एक दिन उसे उदास देख उसकी सहेली गुंजा ने स्वीटी से उसकी उदासी का कारण पूछा तो उसने गुंजा से सारी बाते बता दी। स्वीटी की समस्या सुनकर गुंजा ने उसे ‘हाइम्नोप्लास्टी सर्जरी’ के द्वारा फिर से अपना कुंवारापन पाने का तरीका (सुझा) दिया। गुंजा ने स्वीटी के सामने इस राज को भी खोल दिया कि कभी स्वयं उसने इसी आपरेशन के द्वारा अपना कुंवारापन प्राप्त किया था।
कानपुर की गुंजा एम0बी0ए0 करके एक मल्टीनेशनल कम्पनी में काम पा यगी थी, शिक्षा के दौरान उसके सहपाठी अमित से उसके अंन्तरंग सम्बन्ध बन गये परिणाम स्वरूप गुंजा का कौमार्य समाप्त हो गया और वह गर्भवती हो गयी। गुंजा ने प्रेमी अमित से यह बात बतायी तो उसने अपने कैरियर का वास्ता देकर पहले तो उसका गर्भपात करवा दिया इसके बाद एक बहाने से वह गुंजा के जीवन से काफी दूर चला गया। कुछ दिन तो गुंजा असहज रही लेकिन बाद में उसने एक दूसरी मल्टीनेशनल कम्पनी में पुनः जाँब शुरू कर दिया। इसी कम्पनी में कार्यरत एक सहकर्मी ने जब गुंजा के सामने विवाह का प्रस्ताव रखा तो गुंजा ना नहीं कर सकीं, लेकिन उसे डर सताने लगा कि यदि उसके होने वाले पति को शादी से पूर्व उसकी कौमार्यता के नष्ट होने का अंदेशा हो गया तो हो सकता है, उसका वैवाहिक जीवन बर्बाद न हो जाय। आखिर एक समाचार पत्र में प्रकाशित एक विज्ञापन के जरिये उसने अपनी ‘हाइम्नोप्लास्टी सर्जरी’ करवा कर इस डर से छुटकारा पा लिया और फिर से अक्षत कौमार्यवती बन गयी। इस आपरेशन में एक घंटे से भी कम का समय लगा और आपरेशन वाले दिन ही घर वापस भी आ गयी। बाद में गुंजा अपने पति के साथ आगरा शिप्ट हो गयी।

लखनऊ की अंकिता एक बड़े घर की विवाहिता युवती और एक बच्चे की माँ है उसके पति ने बच्चे के जन्म के बाद से अंकिता में दिलचस्पी लेना कम कर दिया। अंकिता ने अपने पति से जब इस बेरूखेपन का कारण जानना चाहा तो अंकिता को मालुम हुआ अब उसमें पहले वाली बात नहीं रही, पहले उसके जिस्म में एक कसाव था, लेकिन बच्चे के जन्म के बाद उसका अंग विशेष ढीला पड़ गया था और पति को उसके इसी ढीलेपन के कारण आनन्द नहीं मिलता। अंकिता ने दिल्ली में रहने वाली भाभी को अपनी समस्या बतायी तो भाभी ने दिल्ली आकर अंकिता को ‘हाइम्नोप्लास्टी सर्जरी’ कराने की सलाह दी। अंकिता तीन दिन के लिये दिल्ली गयी और आपरेशन के द्वारा अपने अंग विशेष का ढीलापन ठीक करवा ली। अब उसका वैवाहिक जीवन सुखमय से बीत रहा है।
आँपरेशन के द्वारा कौमार्य खो चुकी लड़कियों का अपना कुंवारापन फिर से प्राप्त करने की शुरूआत लगभग सात वर्ष पूर्व विदेशों में तेजी से शुरू हुई थी। विदेशी लड़कियां और महिलाएं इस आँपरेशन के द्वारा न सिर्फ अपना खोया हुआ कौमार्य पुनः हासिल कर रही थी बल्कि अपने शरीर के दूसरे शिथिल पड़ गये अंग विशेष को भी आपरेशन के द्वारा पहले वाली स्थिति को प्राप्त कर लिया करती।
दरअसल इस प्रकार के आपरेशन द्वारा वहाँ की कई महिलाएं अपने कौमार्य को पहले वाली स्थिति मंन ले आती। लगभग 30 मिनट तक चलने वाले इस आँपरेशन के द्वारा लड़कियों का कौमार्य पहले की तरह हो जाता है। विदशों में उस समय खासतौर से मुस्लिम लड़कियां इसे कराने में आगे रही हैं। पेरिस के डाक्टर मार्क एबेकैसिस उन दिनों हर सप्ताह इस तरह के दो से चार आँपरेशन करने की बात बतायी। डाक्टर एबेकैसिस के अनुसार इस प्रकार के आँपरेशन में लगभग तीने हजार डालर (भारतीय मूल्य के अनुसार सवा लाख से डेढ़ के बीच) का खर्च आता है। इस आँपरेशन में किसी भी कारण से नष्ट हो गई हाइमन (योनि झिल्ली) को फिर से पहले वाली स्थिति में कर दिया जाता है।
आज के जमाने की वो लड़कियां जो किसी कारण से अपना कौमार्य गवाँ चुकी है और उन्हें इस बात का डर सताता है कि शादी के बाद उनके भावी पति को यदि किसी प्रकार का शक हो गया तो हो सकता है उनका वैवाहिक जीवन खतरे में पड़ जाय इसके लिए पैसे वाले घरों की लड़कियां इस सर्जरी के सहारे अपने डर को दूर भगा देती है। इस प्रकार का आपेरशन अनेक महानगरों कोलकाता, दिल्ली, मुम्बई, मद्रास, बंग्लौर, अहमदाबाद में होने की बात बतायी गयी। यहाँ इस प्रकार के आपरेशन में लगभग 75 हजार रूपये का खर्च आता है। यह आपरेशन एक प्रकार से कास्मेटिक टाइप की सर्जरी होती है बड़ी बात यह है कि इस सर्जरी का शरीर पर कोई दूष्प्रभाव नहीं पड़ता।
इस सर्जरी की लोकप्रियता का आलम यह है कि अभिजात्य वर्ग की कौमार्य खो चुकी अनेक अविवाहित युवतियों के अलावा कुछ शादीशुदा महिलायें भी शादी की वर्षगाँठ व वेलेन्टाइन डे जैसे मौकों पर यह सर्जरी करवाकर अपने हमसफर साथी के साथ नैसर्गिक सुख का आनन्द उठाने में पीछे नहीं रहती जो उन्हें सुहागरात वाले दिन मिला होता हैं।
मनोवैज्ञानिकों के अनुसारा वर्तमान समय में अधिकांश परूषों की मनसिकता कुवाँरी युवती से ही विवाह करने व शारीरिक सम्बन्ध बनाने की होती है। शायद इसी कारण से कुवाँरापन खो चुकी युवतियों के लिये यह सर्जरी आज एक वरदान साबित हो रही है।
(प्रस्तुत रिपोर्ट में लड़कियों व शहर के नाम काल्पनिक है।)

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